द केरल स्टोरी पर लगातार देश के कौने कौने से विवाद देखने और सुनने को मिल रहा है. इस फिल्म ने रिलीस होते ही जमकर नाम कमाया है तो कही विवादों के चलते बवाल के साथ साथ कई राज्यों में हड़कंप मच गया. इस फिल्म को लेकर पूरे भारत में अलग अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. अब फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने भी इस मूवी को लेकर कुछ ऐसा ही कह दिया है.
अनुराग कश्यप ने एक न्यूज पोर्टल से खास बातचीत में कहा कि आज के दौर में कोई भी राजनीति से बचा नहीं है. सिनेमा का आज के वक्त में गैर-राजनीतिक होना बहुत मुश्किल है. द केरल स्टोरी जैसी बहुत सारी प्रोपेगेंडा फिल्में बनाई जा रही हैं. मैं किसी भी चीज पर बैन लगाने के खिलाफ हूं लेकिन अपनी बात पर मैं अड़ा हूं कि ये मूवी वाकई एक प्रोपेगेंडा फिल्म है.
सच पर हो सिनेमा-Anurag Kashyap
अनुराग कश्यप ने आगे कहा कि वह एक फिल्ममेकर हैं और इस नाते वह ऐसी कोई फिल्म नहीं बनाना चाहेंगे जो किसी प्रोपेगेंडा फिल्म का काउंटर लगे या फिर वो एक्टिविस्ट जैसा साउंड करे. उन्होंने कहा कि वह सिनेमा बना रहे हैं और सिनेमा सच और वास्तविकता पर आधारित होना चाहिए.
अनुराग ने रखी अपनी बात
जब अनुराग कश्यप से पूछा गया क्या वह ऐसी फिल्में बनाना चाहते हैं जो देश को सामाजिक-राजनीतिक माहौल दे सके. इस पर उन्होने कहा कि अगर आप ईमानदारी हैं तो कर सकते हैं. वो ऐसी किसी भी चीज को बंद नहीं कर सकते, जो फैक्चुअल हो और किसी का पक्ष न ले रही हो. उन्होंने आगे कहा कि काउंटर- प्रोपेगेंडा में बेईमानी भी हो सकती है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो वो इससे लड़ नहीं सकते.
मैं इसके खिलाफ हूं- कमल हासन
बता दें कि बीते दिन यह सामने आया था कि कमल हासन ने IIFA 2023 में भारतीय सिनेमा पुरस्कार में उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने के लिए अबू धाबी में हैं, ने शनिवार को ‘द केरल स्टोरी’ के चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. मीडिया से बातचीत के दौरान कमल हासन ने फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि मैंने आपको बताया, यह प्रचार फिल्म है, जिसके मैं खिलाफ हूं. यह काफी नहीं है अगर आप लोगो के रूप में सिर्फ नीचे की तरफ सच्ची कहानी लिखते हैं.
दिल को छूने की आवश्यकता है- कमल हासन
उन्होंने आगे कहा कि यह वास्तव में सच होना चाहिए और यह सच नहीं है. यह काफी नहीं है कि आप एक सच्ची कहानी के आधार पर कहते हैं जो हर कोई करता है. मुझे लगता है कि आपको दर्शकों के दिल को छूना होगा कि इस तरह का सिनेमा एक तरह का सिनेमा नहीं है. मोनो कल्चर है. कला में विशेष रूप से महान चीज नहीं. इसलिए सभी तरह के सिनेमा खत्म होने चाहिए.
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